बुधवार, 9 मई 2012

डायबेटीज अथवा मधुमेह या बहुमूत्र के लिये आयुर्वेदिक योग

भारतीय चिकित्सा विग्यान जैसा कि सभी मानते और जानते हैं कि एक पूर्ण चिकित्सा विग्यान है, जो सभी रोगों को पूर्ण आरोग्य अथवा आन्शिक आरोग्य लाभ अथवा अरोग्य लाभ प्रदान करने की क्षमता प्रदान करता है / मधुमेह यानी Diabeties रोग को सबसे पहले आयुर्वेद ने ही पहचाना है , वह भी हजारों साल पहले / इसका जिक्र Text Book of Medicine by McDormat तथा Harrison’s Internal Medicine के relevent chapters मे उपस्तिथि है /
MacDormat की टेक्स्ट बुक आफ मेडिसिन में लिखा है कि भारतीय चिकित्सक चरक और सुश्रुत को मधुमेह के बारे में ग्यान था और उन्होने मोटापे का एक कारण इस बीमारी को माना है /
तो फिर यह तय हुआ कि आयुर्वेद को मधुमेह बीमारी के बारे में पूरा ग्यान था और भारतीय चिकित्सक इस बीमारी का इलाज करना जानते थे / यह सही भी है / आज भी समयानुकूल चिकित्सा करके मधुमेह के रोगियों को आरोग्य, आयुर्वेद के चिकित्सक, आम जन को मुहैया करा रहे है /
Diabeties के लिये आयुर्वेद की एक दवा का जिक्र यहां कर रहा हूं / इस दवा के सेवन से डायबेटीज अवश्य ठीक होती है /
हेमनाथ रस Hemnath Ras
इस औषधि का निर्माण आयुर्वेद की उत्कृष्ट भस्मों और दृव्यों को मिलाकर किया गया है / इसे बनाने का तरीका और योग मिश्रण इस प्रकार है / शोधित पारा, शोधित गन्धक, सोना भस्म, सोनामक्खी भस्म , यह सभी १२ ग्राम / लोहा भस्म, प्रवाल भस्म, कपूर,वन्ग भस्म यह सभी ६ ग्राम / सभी द्रव्यों को खरल में डाल दें / अच्छी तरह घोंटें / अब इसको पोस्त के डोडे के काढा से सात बार भिगो कर सुखा लें यानी एक बार भिगोया और सुखाया फिर दूसरी बार भिगोया और सुखाया / ऐसा ही क्रिया सात सात बार भिगोने और सुखाने का काम केले के फूल का रस और गूलर के फल के रस के साथ भी करें / यह दवा डायबिटीज के इलाज के लिये तैयार है /
इसे गिलोय के रस के साथ १२५ मिलीग्राम की मात्रा में देने से चाहे जसी डायबिटीज हो अवश्य ठीक होती है / इसे किसी भी मधुमेह नाशक चूर्ण अथवा काढा के साथ भी दे सकते है /
इस दवा को सुबह देना चाहिये , एक ही खुराक काफी है / यदि अधिक तकलीफ हो तो शाम को भी एक खुराक दे सकते है /
डायबिटीज ठीक हो जाती है यदि जीवन शैली, खानपान में परहेज और आयुर्वेदिक दवायें सही सही ली जायें / डायबिटीज कम की जा सकती है, यदि स्वास्थय के प्रति जागरुकता बनाये रखी जाये /
लापरवाही करने से मधुमेह की बीमारी बहुत तेजी से बढती है, इसलिये हमेशा और बार बार इसका परीक्षण करते रहना चाहिये और monitor करते रहना चाहिये कि रक्त में यह सामान्य है अथवा नहीं / इलाज के लिये कोई भी दवा किसी भी चिकित्सा पैथी को यदि ले रहे हों तो उसे एकदम न छोड़िये, अगर छोड़ना ही है तो चिकित्सक की सलाह के बगैर न छोड़ें / दवायें धीरे धीरे छोड़े / पर जब तक ठीक न हो कोई न कोई दवा लेते रहें / बीच बीच में यानी हर १५ दिन में रक्त शर्करा की जान्च कराते रहे

शनिवार, 5 मई 2012

Prostate glands

Prostate glands के बढने की समस्या केवल पुरुषों को ही होती है . यह 40 - 50  वर्ष तक की उम्र में भी हो सकती है;  और इससे अधिक उम्र में भी . इस ग्रन्थि का वजन लगभग  20  ग्राम तक होता है . लेकिन प्रोस्टेट ग्रन्थि के बढने पर इसका वजन 40 - 50 ग्राम तक, यहाँ तक कि,  100 ग्राम तक भी होते देखा गया है . यह खतरनाक हो सकता है . इस बीमारी में बार बार पेशाब जाना पड़ता है . एक बार में पूरा पेशाब नहीं होता . थोडा थोडा करके पेशाब आता है . इससे  नींद पूरी नहीं होने पाती .
इसके उपचार के लिए  कपालभाति प्राणायाम सर्वश्रेष्ठ है . इससे बहुत अधिक लाभ देखा गया है . Acupressure के लिए हथेली के बीचों बीच वाले point पर बार बार दबाने से भी फायदा होता है . चन्द्रप्रभा और गोक्षुरादी वटी लेने से लाभ होता है .
विषतिन्दूक वटी की एक एक गोली भी ली जा सकती है ; अगर बार बार पेशाब आता हो .
सवेरे सवेरे  लौकी का जूस +7  पत्ते तुलसी +5  काली मिर्च मिलाकर जूस पीने से अद्भुत फायदा होता है .
उम्र बढने पर पुरुषों को यह समस्या अवश्य ही आ सकती है . इसलिए बेहतर है,  कि नियमित रूप से कपालभाति प्राणायाम करते रहें , और इस बीमारी से बचे रहें .

गिलोय ; अमृत बेल !

गिलोय को अमृता भी कहा जाता है .
यह स्वयं भी नहीं मरती है और उसे भी मरने से बचाती है , जो इसका प्रयोग करे .
कहा जाता है की देव दानवों के युद्ध में अमृत कलश की बूँदें जहाँ जहाँ पडी , वहां वहां गिलोय उग गई .
यह सभी तरह के व्यक्ति बड़े आराम से ले सकते हैं .
ये हर तरह के दोष का नाश करती है .
कैंसर की बीमारी में 6 से 8 इंच की इसकी डंडी लें इसमें wheat grass का जूस और 5-7 पत्ते तुलसी के और 4-5 पत्ते नीम के डालकर सबको कूटकर काढ़ा बना लें .
इसका सेवन खाली पेट करने से aplastic anaemia भी ठीक होता है .
इसकी डंडी का ही प्रयोग करते हैं ; पत्तों का नहीं . उसका लिसलिसा पदार्थ ही दवाई होता है .
डंडी को ऐसे  भी चूस सकते है . चाहे तो डंडी कूटकर, उसमें पानी मिलाकर छान लें . हर प्रकार से गिलोय लाभ पहुंचाएगी .
इसे लेते रहने से रक्त संबंधी विकार नहीं होते . toxins खत्म हो जाते हैं , और बुखार तो बिलकुल नहीं आता .
पुराने से पुराना बुखार खत्म हो जाता है .
इससे पेट की बीमारी , दस्त ,पेचिश,  आंव , त्वचा की बीमारी , liver की बीमारी , tumor , diabetes , बढ़ा हुआ E S R , टी बी  , white discharge , हिचकी की बीमारी आदि ढेरों बीमारियाँ ठीक होती हैं .
अगर पीलिया है तो इसकी डंडी के साथ  ;  पुनर्नवा  (साठी;  जिसका गाँवों में साग भी खाते हैं) की जड़ भी कूटकर काढ़ा बनायें और पीयें .
kidney के लिए भी यह बहुत बढ़िया है .
गिलोय के नित्य प्रयोग से शरीर में कान्ति रहती है और असमय ही झुर्रियां नहीं पड़ती .
शरीर में गर्मी अधिक है तो इसे कूटकर रात को भिगो दें और सवेरे मसलकर शहद या मिश्री  मिलाकर पी लें .
अगर platelets बहुत कम हो गए हैं , तो चिंता की बात नहीं , aloe vera और गिलोय मिलाकर सेवन करने से एकदम platelets बढ़ते हैं .

                
इसका काढ़ा यूं भी स्वादिष्ट लगता है नहीं तो थोड़ी चीनी या शहद भी मिलाकर ले सकते हैं . इसकी डंडी गन्ने की तरह खडी करके बोई जाती है . 
इसकी लता अगर नीम के पेड़ पर फैली हो तो सोने में सुहागा है . 
अन्यथा इसे अपने गमले में उगाकर रस्सी पर चढ़ा दीजिए . 
देखिए कितनी अधिक फैलती है यह बेल . और जब थोड़ी मोटी हो जाए  तो पत्ते तोडकर डंडी का काढ़ा बनाइये या शरबत . दोनों ही लाभकारी हैं . 
यह त्रिदोशघ्न है अर्थात किसी भी प्रकृति के लोग इसे ले सकते हैं . 
गिलोय का लिसलिसा पदार्थ सूखा हुआ भी मिलता है . इसे गिलोय सत कहते हैं . 
इसका आरिष्ट भी मिलता है जिसे अमृतारिष्ट कहते हैं . अगर ताज़ी गिलोय न मिले तो इन्हें भी ले सकते हैं .

स्वस्थ रहना है तो ...........

स्वस्थ रहना है तो ......
- मन में सभी के प्रति शुभ कामनाएँ रखो .
- सप्ताह में एक दिन आधे घंटा प्राणायाम अवश्य करो .
- सोने से दो घंटे पहले भोजन कर लो .
- खाना भूख से थोडा सा कम खाओ .
- नमक या नमकीन वस्तुएं कम से कम खाओ . हम चीनी के प्रति तो जागरूक हैं, पर नमक के प्रति नहीं .
- सवेरे उठकर थोडा सा गुनगुना पानी पीओ .
- दिन भर खूब पानी पीओ . बहुत ठंडा पानी पीना ठीक नहीं .
- थोड़ी दूरी पर जाना है तो पैदल चलो .
- प्रयत्न करो कि चेहरे पर मुस्कुराहट रहे .
- सवेरे 2-3 पत्ते तुलसी के पानी के साथ लो .
- आस्थावान रहो कि प्रत्येक कार्य में कुछ न कुछ शुभता अवश्य होती है . सकारात्मक रहो .
- कुछ अप्रिय लगने पर एकदम प्रतिक्रिया (reaction) न करो . थोडा शांत रहो .
- 6-7 घंटे की नींद अवश्य लो .
- भोर में उठने का प्रयास करो , भले ही अवकाश का दिन क्यों न हो .
- दिन में 20-25 मिनट की नींद लेना स्फूर्तिदायक होता है .
- रात्रि में 10.30 तक सो जाना अच्छा रहता है . 
- गला थोडा सा भी खराब हो तो सुबह और सोते समय, आधा चम्मच हल्दी गुनगुने पानी के साथ लो .
- बुखार की तनिक भी शुरुआत लगे तो गिलोय की डंडी कूटकर , पानी में उबालकर पी लो .
- अगर प्रभु में आस्था है तो हर समय उसके प्रति धन्यवाद करते रहो .

तेजपत्ता (bay leaves)

तेजपत्ता मसाला ही नहीं औषधि भी है इसके पत्तों का काढ़ा सर्दी जुकाम भगाता है . सिरदर्द हो तो इसके 4-5 पत्तों  का  काढ़ा  पीयें  और  पत्ते  पीसकर  सिर पर  लेप  करें . सिर में जूएँ हो गयी हों तो 50 ग्राम पत्तों को 400 ग्राम पानी में उबालें . जब 100 ग्राम रह जाए तो सिर की जड़ों में लगा लें . एक दो घटे बाद धो दें . इसमें उबलने से पहले भृंगराज मिला लें तो और भी अच्छा है . दमा हो तो इसके 2-3 पत्ते और एक ग्राम सौंठ मिलाकर काढ़ा बनाएँ और पीयें . खांसी हो तो इसकी पत्तियों के पावडर को शहद में मिलाकर चाटें . पेट में अफारा हो तो 5 ग्राम तेजपत्ता और अदरक का काढ़ा शहद मिलाकर लें . उबकाई आती हों तो इसकी 5 ग्राम पत्तियां उबालकर सवेरे शाम लें . Kidney में पथरी हो तब भी इसकी पत्तियों का उबला पानी सवेरे शाम लें .
                               हृदय रोग होने पर या angina की समस्या में , 3-4 तेजपत्ता +2 लौंग +3-4 ग्राम देसी गुलाब की पंखुडियां मिलाकर पानी में उबालकर छानकर पीयें . गर्भाशय की शुद्धि के लिए अजवायन +सौंठ +तेजपत्ता उबालकर पिलायें . Allergy या छींकें आने पर तेजपत्ते का काढ़ा पिलायें . अफारा या वायु गोला हो तो पत्ते उबालकर सेंधा नमक मिलाकर दें . नकसीर आती हो तो इसकी पत्तियां उबालकर मसलकर छानकर पिलायें .. इसकी पत्तियों का काढ़ा जोड़ों के दर्द में भी लाभ करता  है .